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समय ह फरवर का, पूरे देशभर म गध गणना क जानी थी। इसी म म वन वभाग वारा गाँधीसागर म भी गणना के लए 16 फरवर से 18 फरवर, 3 दन तय कए जाते ह। जैसे ह मुझे इस
कायम क जानकार मलती ह म वन वभाग से समवय कर अपना नाम भी वॉलंटयर के प म
दज करवा देता हूं।
कुछ दन बीतने के बाद गणना के पहले दन क शुआत होती है सुबह के 5 बजे से। अंधेरा होता ह
और म नकल जाता हूं वभाग वारा नधारत कए गए थान के लए वह पर मुझे मेरे दल के बाक
लोग भी मल जाते ह। हमारे दल को अयारय के िजस े म गणना ारंभ करनी थी वो था
गोलमगर और झांझरबावड़ी। वहां पहुंचते ह सूय क पहल करण धरती पर पड़ती ह। और हम शुआत
करते ह गध गणना क। म और मेरे साथी जंगल क ओर चलना ारंभ कर देते ह। नीलगाय, चल
हरण और चंकारा ने भी हमारा वागत कया। उसके बाद खाता खुलता ह अशोक के पेड़ पर बने घसले
से, िजस पर उस समय तो कोई गध नहं था। पर थोड़ा आगे नाले क तरफ बढ़ने पर हम दो
इिजिशयन गध दखाई दए। फर थोड़ा और आगे चलने पर लॉग बड, हाइट बैड, इिजिशयन
जैसे थानीय गध के साथ साथ यूरेशयन, हमालयन फोन जैसे वासी गध और उनके घसले
भी दखाई दए। हमने देर न करते हुए तुरंत ह प म आंकड़े भरना शु कया। बाक दल को राज
गध और सनेरयस गध भी दखाई दए। जंगल म अशोक के साथ, सलाई, करधायी, पलाश और
तदू के पेड़ भी थे। ऐसे ह हमने आगे बढ़ते गए और आंकड़े जुटाते गए। उसके बाद गणना के अंतम
दन सभी दल एकत होते ह पठार पर बने वन वभाग के ईको कप पर। सभी वहां पर अपने प
जमा करते ह। 850 के लगभग गध पूरे गांधीसागर वन परे म गणना के दौरान पाए गए। बाक
सार या पूर करने के बाद सभी कमचार और वॉलंटयस दय म गणना क कुछ मीठ यांदे और
असाधारण अनुभव को लए अपने अपने थान के लए थान करते ह। जंगल म गणना करने का ये
अनुभव ह कुछ वशेष था। िजसे म यहां शदो म बयां नहं कर सकता। काफ अनुभव मला मुझे इस
गणना के दौरान। कई तरह के थानीय पय के साथ साथ वासय पय के दशन भी हुए।
अब बस इंतजार ह तो अगले माह म होने वाले छठे बड सव का। इसी बहाने फर से कृत और वय
जीव को और करब से जानने का एक और अवसर मलेगा।